अमेरिका के महान वैज्ञानिक और व्यवसायी थॉमस एल्वा एडिशन ने 1880ई. मैं Incandescent bulb (दीप्त लैंप) बनाया था। जबकि DC पावर (बैटरी) सन 1800ई. में एक इटालियन वैज्ञानिक Alesandro volta ने बना ली थी। 1880 से पहले DC पावर का उपयोग प्रकाश के लिए आर्कलैंप में किया जाता था। पर revolution एडिशन के अविष्कार के बाद ही आया जिसके चलते अमेरिका के बहुत से घरों, होटलों और कंपनियों में incandescent bulb की रोशनी दिखने लगी।
एडिशन का DC पावर प्लांट:
एडिशन एक व्यवसायी भी थे। जिससे लोगो की जरुरतों को देखते हुए उन्होंने न्यूयॉर्क में पहला DC पावर प्लांट लगाया जो कि 110Volt का था। लेकिन ट्रांसमिशन लाइन में पावर लॉस की वजह से आउटपुट वोल्टेज ड्रॉप या कम हो जाता था। अतः कुछ-कुछ किलोमीटर (1-2km) की दूरी पर वो पॉवर प्लांट बनाते चले गए ताकि वोल्टेज ड्रॉप ना हो। लेकिन बड़े स्तर पर देखने से ये बहुत खर्चीला था। ट्रांसमिशन लाइन में लौ वोल्टेज(110वोल्ट) होने से करंट की वैल्यू बढ़ती है ताकि पावर(P=V×I) एक समान हो। और I के बढ़ने से लोसेस(I^2R) भी बढ़ जाते हैं। लेकिन उस समय और कोई भी चुनाव न होने के कारण एडिशन की ये एक बड़ी क्रांति कही जाती है।
AC का अकस्माक जनरेशन:
दूसरी तरफ फ्रांस में सन 1832ई. में पहली बार DC पॉवर को generate करने के लिए एक DC जनरेटर बनाया (उससे पहले बैटरी से DC बनती थी) और उसके आउटपुट में पहली बार AC वोल्टेज को मापा गया। लेकिन AC पॉवर का उस समय तक कोई एप्लीकेशन न होने की वजह से कम्यूटेटर की मदद से AC आउटपुट को DC में बदला गया। इसलिए 1884ई. तक AC पॉवर अंधेरे में ही रही।
1885 में इटली में पहला सिंगल फेज AC पॉवर प्लांट बनाया गया जो कि 2Kv-120Hz का था। धीरे-धीरे और देशों को भी AC पावर के बारे में पता लगा। ये पहली सप्लाई थी जिसे ट्रांफॉर्मेर के द्वारा स्टेप-अप कर ट्रांसमिशन और स्टेप-डाउन से कम लॉस के साथ उपयोग किया जा सकता था। जो कि DC पावर में संभव नही था। लेकिन अभी भी अमेरिका में बल्ब और मोटर्स DC में ही चल रहे थे क्योंकि उस समय तक एडिशन के DC सिस्टम को ज्यादा पावरफुल माना जाता था।
करंट वॉर:
दोस्तो इन सबके बीच 1888ई. में एक ऑस्ट्रियन(बाद में अमेरिकन) इंजीनियर निकोला टेसला ने 3-फेज AC सप्लाई और मोटर का पेटेंट दिया जो उस समय अमेरिका की वेस्टिंगहाउस कम्पनी ने खरीदा जो कि पहले से सिंगल फेज AC सप्लाई ट्रांसमिट करती थी। इस डील ने निकोला टेस्ला को एक बड़ा मौका दिया। और टेस्ला ने 60Hz फ्रीक्वेंसी का यूज़ करके 3-फेज AC मोटर बनायी। इससे पहले तक लोग कुछ जगहों में सिंगल फेज हाई फ्रीक्वेंसी(130Hz,120Hz या 133Hz) AC सप्लाई को ट्रांसमिट कर रहे थे। टेस्ला ने हाई फ्रीक्वेंसी से होने वाले लोसेस(आयरन लोसेस) को कम कर 60Hz फ्रीक्वेंसी को आइडियल बताया।
AC पावर सप्लाई पॉपुलर होने लगा जिसे देख एडिशन और निकोला टेस्ला (वेस्टिंगहाउस) के बीच एक वॉर जैसा हुआ।क्योंकि एडिशन पहले से अमेरिका में DC पावर प्लांट के द्वारा सप्लाई को ट्रांसमिशन कर रहे थे और इसमें काफी बड़ा इन्वेस्टमेंट भी था क्योंकि AC पावर का यूज़ करने के लिए सभी अप्पलाइन्सेस को फेकना पड़ता। जिसने एडिशन ने AC सप्लाई को डेंजरस भी बताया। लेकिन इस वॉर में टेस्ला की जीत हुई क्योंकि की AC सप्लाई सिस्टम इकोनोमिकल, पॉवरफुल था और इसमे वोल्टेज को ट्रांसफॉर्मर द्वारा कम ज्यादा भी किया जा सकता था। इसलिए अमेरिका में 120V-60Hz AC सप्लाई का उपयोग होने लगा।
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यूरोपियन देशो में 50Hz :
दूसरे विश्व युद्ध तक यूरोप में 120V-50Hz का यूज़ होता था। 50Hz इंग्लैंड में सबसे पहले उपयोग में लायी गयी क्यों कि फ्रीक्वेंसी को 50Hz में रखने से लोसेस को और कम किया जा सकता था। लेकिन जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद जन तबाही और बुरे हालात हुये और इलेक्ट्रिकल सिस्टम इक्विपमेंट, एप्लायंसेज भी तबाह हुए तो इसी बीच एक नई शुरुआत करने पर ब्रिटैन में 220V-50Hz का उपयोग होना शुरू हुआ जो अभी भी बरकरार है।
धन्यवाद।
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