दोस्तो मूल रूप से
Ohm's Law|ओम के नियम के कथन को एक सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। जिसके द्वारा हम किसी परिपथ के लीनियर एलिमेंट का मान आसानी से ज्ञात कर सकते हैं। Ohm's Law|ओम का नियम इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का सबसे बेसिक/फंडामेंटल नियम भी है जो हमको किसी परिपथ या चालक के दो बिंदुओं के बीच विभव, परिपथ या चालक में बहने वाली धारा और परिपथ या चालक के
प्रतिरोध के बीच में संबंध और इनकी मात्रा के बारे में बताता है।
Ohm's Law(ओम का नियम) का इतिहास
Ohm's Law|ओम का नियम 1828 मेें
G. S Ohm ने अपनी किताब
"The galvanic circuit investigated mathematically" में प्रकाशित किया था। जिससे पूर्व विद्युत धारा का कम ज्यादा होना केवल भौतिक कारणों को माना जाता था।
शुरुवात मेें Ohm ने अपने प्रयोग में वोल्टेज सोर्स के लिए वोल्टेज पाइल का उपयोग किया। लेकिन एक नियत वोल्टेज सोर्स के लिए थर्मोकपल (Thermocouple) अधिक उपयुक्त था। अतः बाद में वोल्टेज के लिये थर्मोकपल, धारा को मापने के लिए गल्वनोमीटर (Galvanometer) और परिपथ को पूरा या बड़ा करने के लिए कुछ तारों का उपयोग किया था।
Ohm's Law(ओम का नियम) के अनुसार
माना एक चालक जिसमे विद्युत धारा I प्रवाहित हो रही है और चालक के दोनो शिरों के बीच विभवांतर V है।
अतः ओम के अनुसार
V ∝ I
V =I R
जहां पर V विभव है जिसका मात्रक वोल्ट होता है और I विद्युत धारा है जिसका मात्रक एम्पियर है। R समानुपातिक नियतांक है जो की चालक का प्रतिरोध है जिसका मात्रक ओम (Ω) होता है।
ओम के नियम V=IR, की समानता प्रायः भौतिक विज्ञान के अनेक सूत्रों में देखी जाती है। जैसे- J =σ E जहाँ पर E विद्युत क्षेत्र(इलेक्ट्रिक फील्ड) है। J धारा घनत्व(करंट डेंसिटी) है। और σ चालकता(कंडक्टिविटी) है।
ओम के नियम का Triangle(ट्रायंगल)
ओम के नियम, मुख्य रूप से सूत्र का ब्यापक रूप से उपयोग सर्किट के एनालिसिस में किया जाता है। और जिसे याद करना इतना मुश्किल भी नही पर फिर भी इसे और आसान बनाने के लिए ट्राइएंगल विधि उपयोग की जाती है। जिस भी एलिमेंट का मान ज्ञात करना हो उसको हटा दें और जो बचता है उसे लिख दें।
V का मान ज्ञात करने के लिए V को हटा दें। ⬇️
I का मान ज्ञात करने के लिए I को हटा दें। ⬇️
R का मान ज्ञात करने के लिए R को हटा दें।⬇️
इसलिये ओम के नियम के अनुसार हमें तीन सूत्र मिलते हैं जिनसे हम किसी इलेक्ट्रिकल सर्किट में आसानी से धारा, विभव और प्रतिरोध का मान ज्ञात कर सख्त हैं।
ओम के नियम की सीमाएं
ओम के नियम के द्वारा सर्किट आसान तो हो जाता है पर यह नियम पूर्ण रूप से सभी पदार्थों के लिये उपयुक्त नही हैं। किसी इलेक्ट्रिकल परिपथ में अलग-अलग पदार्थों से बने हुए एलेमेमेंट लगे हुए होते हैं अब इनमे से कुछ रैखिक एलिमेंट(Linear element) होते हैं और कुछ अरैखिक एलिमेंट(Non-linear element) होते हैं।
रैखिक एलिमेंट वो होते हैं जो विभव और धारा के बीच एक नियत(Constant) संबंध दिखाते हैं। और अरैखिक एलिमेंट वो होते हैं जो विभव और धारा के बीच नियत संभंध नही दिखाते हैं। रैखिक एलिमेंट को ओमिक एलिमेंट(Ohmic element) और अरैखिक एलेमनेट को नॉन ओमिक एलिमेंट भी कहते हैं।
रैखिक एलिमेंट का सबसे अच्छा उदाहरण प्रतिरोध हैं। इसके अलावा इंडक्टर(L) और कैपेसिटर(C) भी रैखिक एलिमेंट कहलाते हैं।
ऊपर ग्राफ में प्रतिरोध के अलग अलग मान के साथ वोल्टेज और करंट के बीच सम्बन्ध दिखाया गया है जो कि एक रैखिक या ओमिक सम्बन्ध दिखाता है अर्थात वोल्टेज के बढ़ने पर करंट का मान भी बढ़ेगा।
ऊपर ग्राफ में एक सेमीकंडक्टर डायोड के लिए वोल्टेज और करंट के बीच संबंध को दिखाया गया है जो कि अरैखिक या नॉन-ओमिक सम्बन्ध को दर्शाता है। शुरुआत में वोल्टेज का मान बढ़ाने पर भी करंट का मान धीरे धीरे बढ़ता है और बाद में करंट एकदम एक्सपोनेंशियल कर्व लेती है।
आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रयुक्त लगभग सभी सेमीकंडक्टर डायोड अरैखिक एलिमेंट होते हैं जो की ओम के नियम का अनुसरण नही करते हैं। इसके अलावा भौतिक अवश्थायें भी एलिमेंट को नॉन-ओमिक बना सकती हैं।
सरल परिपथ में ओम के नियम द्वारा आकलन
नीचे के परिपथ दिखाया गया है जिसमे सोर्स वोल्टेज 12V की बैटरी है। लैंप का आंतरिक प्रतिरोध 2ओम तथा परिपथ में लगे चालक का प्रतिरोध भी 2ओम है अतः परिपथ का कुल प्रतिरोध 4ओम होगा।
इसलिए ओम के नियम के अनुसार परिपथ में बहने वाली
धारा I = V/R
I = 12/4
I = 3 एम्पियर
इसी तरह यदि हमको परिपथ में किन्ही दो एलिमेंट(V और I, या V और R, या I और R) का मान ज्ञात हो तो हम तीसरे एलिमेंट का मान ज्ञात कर सकते हैं।
आशा करते हैं आर्टीकल Ohm's Law in Hindi : ओम का नियम Hindi आपको अच्छा लगा होगा। यदि आपको अच्छा लगा तो आप शेयर कर सकते हैं और यदि आपके कोई सुझाव हैं तो आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं धन्यवाद।
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